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रायपुर, 9 जुलाई 2025:
राजधानी रायपुर के प्रसिद्ध पचपेड़ी नाका चौक का नाम बदलने की प्रक्रिया को लेकर प्रदेशभर में विरोध और आक्रोश की लहर दौड़ गई है। रायपुर नगर निगम द्वारा इस चौक का नाम बदलकर “संत बाबा गोदड़ी वाला चौक” करने की पहल ने स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक हलकों में गहरी असहमति और चिंता उत्पन्न की है।
नगर निगम ज़ोन क्रमांक-10 के अंतर्गत आने वाले इस ऐतिहासिक चौक के नाम परिवर्तन का प्रस्ताव ब्रह्म स्वरूप संत बाबा गेलाराम ट्रस्ट और गोदड़ी वाला धाम, देवपुरी की ओर से रखा गया था, जिसे नगर निगम ने बिना जनसुनवाई के औपचारिक प्रक्रिया में आगे बढ़ा दिया। यही कारण है कि लोगों का असंतोष अब आंदोलन का रूप लेने लगा है।
सामाजिक संगठनों का मुखर विरोध
छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ (युवा प्रकोष्ठ) समेत कई सामाजिक संगठनों ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए ज़ोन-10 कार्यालय में आपत्ति पत्र सौंपा। उनका कहना है कि एक ट्रस्ट के प्रस्ताव पर नगर निगम द्वारा इतना बड़ा निर्णय लेना, जनतांत्रिक मूल्यों और सार्वजनिक भागीदारी की अवहेलना है।
“पचपेड़ी नाका” सिर्फ नाम नहीं, पहचान है”
स्थानीय निवासियों का मानना है कि पचपेड़ी नाका चौक सिर्फ एक ट्रैफिक पॉइंट नहीं, बल्कि रायपुर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक पहचान है। वर्षों से प्रचलित यह नाम शहरवासियों की स्मृतियों में गहराई से जुड़ा हुआ है। इसे बिना आम सहमति बदला जाना अस्मिता पर चोट के रूप में देखा जा रहा है।
आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला की कड़ी आपत्ति
राज्य के सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने भी इस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ज़ोन आयुक्त को पत्र लिखकर नगर निगम की कार्यप्रणाली को अविवेकपूर्ण और अपारदर्शी बताया और चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने पुनर्विचार नहीं किया, तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
सोशल मीडिया पर जनता का विरोध
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर #SavePachpediNaka और #PublicVoiceMatters जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। हजारों यूजर्स वीडियो, पोस्ट और टिप्पणियों के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं —
“क्या अब जनता की राय के बिना कोई भी निर्णय थोप देना लोकतंत्र बन गया है?”
नामकरण को लेकर सुझाव भी आए सामने
इस बीच, कुछ सामाजिक प्रतिनिधियों ने सुझाव दिए हैं कि यदि चौक का नाम बदलना ही है, तो उसे गुरु घासीदास, पंडित सुंदरलाल शर्मा, शहीद वीर नारायण सिंह, माता राजिम, बालकदास या गुंडाधुर जैसे प्रदेश के महान विभूतियों के नाम पर किया जाए, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की चेतना को दिशा दी।
प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि जब बहुसंख्यक जनता इस निर्णय के विरुद्ध है, तो नगर निगम किस दबाव में कार्य कर रहा है? यह निर्णय प्रशासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।


