बिलासपुर, 1 जुलाई।
गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित कराने तथा गौवंश की रक्षा और संरक्षण के लिए अब आंदोलनकारी जल में उतर चुके हैं। बिलासपुर में गौ रक्षक समिति के तत्वावधान में चल रहा “गौ माता राष्ट्रमाता आंदोलन” अब जन आंदोलन का रूप लेने लगा है।
गौ रक्षक समिति के ओम बिशेन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा,
“गौ प्रणाम — जल में आंदोलन! अब गौ धन के लिए गौ पुत्र जल में उतर आए हैं। हमारा लक्ष्य है — गौ माता को राजमाता और राष्ट्रमाता घोषित कराना।“
उन्होंने यह भी मांग की कि:
गौ धाम बिलासपुर को कम से कम 5 एकड़ भूमि प्रदान की जाए।
गौ तस्करी में संलिप्त बिलासपुर के नामी तस्करों को तत्काल जेल भेजा जाए।
गौ द्रोही डॉक्टर के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।
बिशेन ने कहा कि गौ पुत्र चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं और यह तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार ठोस कदम नहीं उठाती।
सरकार से सख्त कदम की मांग
गौ रक्षक समिति ने छत्तीसगढ़ सरकार से आग्रह किया है कि वे गौ रक्षा के लिए कठोर कानून, प्रभावी कार्यवाही और स्थायी समाधान प्रस्तुत करें।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा “गो अभयारण्य” को “गौधाम” कहने की घोषणा का स्वागत करते हुए समिति ने कहा कि अब हर नागरिक को गौ रक्षा के लिए ‘गोविंद’ बनना होगा।
गौरक्षा आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में गौरक्षा को लेकर समय-समय पर कई जन आंदोलन हुए हैं।
आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने भी गौरक्षा आंदोलन को दिशा दी थी।
गौ माता राष्ट्रमाता आंदोलन, कामधेनु गौ रक्षा समिति जैसे प्रयासों ने इस विचारधारा को और बल दिया।
आज यह आंदोलन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्र गौरव का प्रतीक बन गया है।
संपर्क:
ओम बिशेन
गौ रक्षक समिति, बिलासपुर


