नई दिल्ली।
भारत की कृषि अर्थव्यवस्था ने एक नई ऊंचाई को छू लिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2012 (FY12) से लेकर वित्त वर्ष 2024 (FY24) के बीच कृषि का सकल मूल्य वर्धन (GVA) ₹4,800 हजार करोड़ से भी अधिक हो गया है, जो कि इस अवधि में तीन गुना वृद्धि को दर्शाता है।
🌾 कृषि क्षेत्र में ग्रोथ के मुख्य स्तंभ:
इस उल्लेखनीय वृद्धि में अनाज उत्पादन, पशुधन पालन, फल-फूलों की खेती, और अन्य कृषि-गतिविधियों का प्रमुख योगदान रहा है।
- अनाज और दलहन की पैदावार में निरंतर सुधार हुआ।
- पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में तकनीकी नवाचार और सरकारी योजनाओं से तेजी आई।
- फल-फूलों की खेती ने बाजार को नया आयाम दिया।
🍌 फलों की खेती में बड़ा बदलाव:
केले ने आम को पीछे छोड़ते हुए अब फलों की कुल GVO (Gross Value Output) में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। यह उपभोक्ता मांग, निर्यात क्षमता और उत्पादन तकनीक में सुधार का परिणाम है।
🏆 उत्तर प्रदेश सबसे आगे:
राज्यवार कृषि GVO की बात करें तो उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक हिस्सेदारी दर्ज की है, जो राज्य की मजबूत कृषि व्यवस्था और व्यापक भूमि उपयोग को दर्शाता है।
📊 कृषि का GDP में योगदान:
कृषि अब भी भारत की अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्तंभ बना हुआ है, जो राष्ट्रीय GDP में 16% तक योगदान देता है। यह क्षेत्र ग्रामीण आजीविका, रोजगार, और आर्थिक विविधता (Economic Diversification) के लिए बेहद महत्वपूर्ण बना हुआ है।
🌍 भविष्य की संभावनाएं:
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कृषि सहित 9 प्रमुख सेक्टर ऐसे हैं जो भारत के वैश्विक विकास मानचित्र को बदल सकते हैं, जिनकी संयुक्त संभावित आर्थिक क्षमता 738 बिलियन डॉलर तक आँकी जा रही है। कृषि क्षेत्र इस बदलाव का प्रमुख वाहक बनकर उभर सकता है, यदि सिंचाई, भंडारण, निर्यात और तकनीक पर सही दिशा में निवेश किया जाए।
निष्कर्ष:
भारत की कृषि अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि तकनीक और नवाचार से प्रेरित एक उभरता हुआ विकास इंजन बन गई है। यदि यही रफ्तार बनी रही तो यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में भारत के आर्थिक नेतृत्व को और मजबूती दे सकता है।
📰 Source: सरकारी आंकड़े एवं कृषि मंत्रालय रिपोर्ट
🖊️ Janchoupal36 News Desk


