“जगन्नाथ है तो जीवन है” — पुरी धाम में निकली विश्वविख्यात रथ यात्रा,लाखों की संख्या में श्रद्धालु होंगे शामिल


पुरी/उड़ीसा/देश: janchoupal36
भारत के चार प्रमुख धामों में प्रथम माने जाने वाले जगन्नाथ पुरी धाम में आज द्वितीया तिथि को पारंपरिक भव्यता और जनआस्था के साथ भगवान श्री जगन्नाथ की विश्वविख्यात रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। वर्षों की प्रतीक्षा के बाद आज वह पावन दिन आया जब महाप्रभु जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकले।
पुरी का यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, अपितु भारत की सांस्कृतिक एकता, श्रद्धा और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। रथ यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण, उनके भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीन अलग-अलग सुसज्जित रथों में विराजमान होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। यह वही अवसर है जब भगवान स्वयं अपने मंदिर से बाहर आकर भक्तों के बीच आते हैं, जिससे हर जन-मन पुलकित हो उठता है।
लगभग 40 से 45 लाख श्रद्धालु इस मौके पर पुरी में एकत्र होते हैं। भक्तगण भगवान के रथ की रस्सियों को खींचने को पुण्य का कार्य मानते हैं। चारों दिशाओं से उमड़ता जनसागर, ‘जय जगन्नाथ’ के जयकारों से गूंजता आकाश और भक्तिभाव से ओतप्रोत वातावरण—यह सब मिलकर रथ यात्रा को अद्वितीय बनाते हैं।

इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को रथ यात्रा की शुभकामनाएं देते हुए कहा:
जगन्नाथ है तो जीवन है। महाप्रभु केवल आराध्य नहीं, प्रेरणा भी हैं। पुरी की रथ यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक समरसता और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का भी प्रतीक है।”

पुरी की रथ यात्रा की भव्यता, अनुशासन और भक्ति का संगम ऐसा है कि यह न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में एक विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशों से भी तीर्थयात्री इस आयोजन में भाग लेते हैं।
तीन भव्य रथों की यात्रा, सुसज्जित मार्ग, प्रशासन की सतर्कता, सुरक्षाबलों की मुस्तैदी और हर कोने से आती भजन-कीर्तन की स्वर लहरियां—यह दृश्य अविस्मरणीय है। यह वही यात्रा है जहां भगवान स्वयं ‘नदीघोष रथ’ में सवार होकर मौसी के घर गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं, और सात दिन बाद पुनः अपने मुख्य मंदिर लौटते हैं।
महाप्रभु श्री जगन्नाथ, जो नटवर नागर, लीलाधर, राधा के प्राण प्यारे, और जगतगुरु श्रीकृष्ण के रूप में पूजित हैं, आज भी हर भक्त के मन-मंदिर में विराजमान हैं। उनकी रथ यात्रा मात्र एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि हर हृदय में श्रद्धा और अपनत्व का उत्सव है।
🙏 जय जगन्नाथ! वंदे कृष्णं जगतगुरुम!
अगर आप चाहें तो इसी न्यूज का वीडियो स्क्रिप्ट या सोशल मीडिया पोस्ट वर्जन भी तैयार कर सकता हूँ।

  • Related Posts

    छत्तीसगढ़ कैबिनेट बैठक आज: कृषि, शिक्षा और आबकारी विभाग से जुड़े हो सकते हैं बड़े फैसले

    📍 मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय में होगी बैठक रायपुर :_11 जुलाई 2025 | Janchoupal36छत्तीसगढ़ सरकार की आज महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक आयोजित की जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव…

    🛑 कांवड़ पर थूकने की घटना से पुरकाजी में तनाव, आरोपी गिरफ्तार – मूकबधिर होने का दावा

    धर्म का संबंध व्यक्ति की भावना से जुड़ा हुआ होता है अगर कोई इसमें दुर्भावना दिखाएं तो यह अनुचित है। मुज़फ्फरनगर (उत्तर प्रदेश), 8 जुलाई –धार्मिक आस्था से जुड़े मामलों…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *